ड्रामेटिक जीवन
बात विश्वविद्यालय के दिनों की है। मेरे कुछ करीबी मित्रों में से एक से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा - "मैं सदैव चाहता था कि मेरा जीवन ड्रामेटिक हो।" क़रीब चार साल बाद आज मेरे मन में इस वाक्य ने वापस दस्तक दी। मैं सोचने लगा कि कैसे किसी का जीवन ड्रामेटिक हो सकता है? ड्रामेटिक होने की परिभाषा क्या है? और कि क्या ऐसा होना ज़रूरी भी है? अगर है तो कितना? क्या इतना कि इसे चाहा जाए या कि जीवन का एक बड़ा उद्देश्य बनाया जाए? या इतना कि इसके बारे में बात की जाए?